प्राकृति से खिलवाड़
प्राकृति से खिलवाड़ होगा तो प्राकृतिक आपदा आएगी ही I कहीं बाढ़ कहीं आग कहीं सूखे की मार कहीं बादल फटने की घटनाएँ कहीं भूकंप आज एक आम सी बात हो गई है I कारण केवल एक ही है प्राकृति से खिलवाड़ I पहाड़ों जंगलों खेत खलिहानों को काट काटकर बड़े बड़े भवन,होटल बन गए I भूमाफिया जंगल माफिया राज कर रहे हैं I गरीब लोग परेशान हैं I वृक्ष कटते जा रहे हैं I धीरे धीरे हम प्रलय की और जाते जा रहे हैं I समय रहते हम लोगों में जागरूकता नहीं आई तो वो दिन दूर नहीं जब इस धरा का नामो निशान मिट जाएगा I नाँ हम होंगे ना कोई हमारा नाम लेने वाला I हम सबको दिमाग से काम लेना चाहिए भूमि कटाव कम करें ,जगह जगह वृक्ष लगाएँ I हम प्राकृति का सम्मान करेंगे तभी प्राकृति हमारा साथ देगी अन्यथा हमें तहस नहस कर देगी I
दीपक शर्मा कुल्लुवीदीपक साहित्य सदन शमशी कुल्लू हिमाचल प्रदेश 175126
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प्राकृति से खिलवाड़
Posted by दीपक कुल्लुवी की कलम से
Posted on गुरुवार, सितंबर 16, 2010
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