क्या लेना
मुझे मंदिर से क्या
मस्जिद से क्या लेना
मैं दिल से इबादत करता हूँ
मुझे राम, रहीम संग रहना
मैं गीता पढ़ सकता हूँ
गुरु ग्रन्थ साहिब रट सकता हूँ
कुरान और बाइवल मेरे दिल में बसे
मुझे इन सब के संग रहना
मुझे सियासत नहीं आती
बिलकुल भी नहीं भाती
इक सीधा सदा हूँ इन्सान
मुझे इन्सान बनके ही रहना
में 'दीपक कुल्लुवी' हूँ
मुझे है प्यार दुनिया से
मुझे सबसे मुहब्बत है
मुझे और नहीं कुछ कहना
दीपक शर्मा कुल्लुवी
०९१३६२११४८६
०१-१०-२०१०
अयोध्या के शानदार फैसले पर तमाम हिन्दुओं और मुसलमानों को मुबारकबाद
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क्या लेना
Posted by दीपक कुल्लुवी की कलम से
Posted on मंगलवार, अक्तूबर 05, 2010
with 1 comment
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1 comments:
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मुझे है प्यार दुनिया से
जवाब देंहटाएंमुझे सबसे मुहब्बत है
मुझे और नहीं कुछ कहनाागर ये हो तो और क्या रह जाता है कहने के लिये
बहुत सुन्दर लगी रचना। बधाई।