Home » YOU ARE HERE » RAKHI KA INSAAF

RAKHI KA INSAAF





















राखी का इन्साफ

वाह री राखी सावंत
कर दिया तूने तंग
ऐसे चिल्लाती हो जैसे
लड़ रही हो जंग
सच बतलाएं मज़ा न आया
बेशक तूने नाम कमाया
देख तिहारी नौटंकी
हुई जाए अखियाँ बंद
नारी हो कुछ शर्म करो
कुदरत के कहर से डरो
इतना चीखना चिल्लाना
एक मर्द को नामर्द बतलाना
कहाँ से इतना ग्यान पा लिया
हम देख के रह गए दंग
खुद भड़कीले वस्त्र धारणी
उंगली उठाती दूजों पर
राखी के इन्साफ में दिखता
केवल अश्लीलता का रंग

दीपक शर्मा कुल्लुवी
०९१३६२११४८६
१९-११-२०१०

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

हिमधारा हिमाचल प्रदेश के शौकिया और अव्‍यवसायिक ब्‍लोगर्स की अभिव्‍याक्ति का मंच है।
हिमधारा के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।
हिमधारा में प्रकाशित होने वाली खबरों से हिमधारा का सहमत होना अनिवार्य नहीं है, न ही किसी खबर की जिम्मेदारी लेने के लिए बाध्य हैं।

Materials posted in Himdhara are not moderated, HIMDHARA is not responsible for the views, opinions and content posted by the conrtibutors and readers.

Popular Posts

Followers