आखरी पन्ने -6
(दीपक शर्मा 'कुल्लुवी')
भुलाया न गया
लाख चाहा तेरी यादों को भुलाया न गया
आप भी लौट के आये न हमसे जाया गया
दूरियां दिल की नहीं तेरी मेरी जिद्द की थी
फासला दोनों से ही आखिर मिटाया न गया
लाख चाहा तेरी यादों को भुला-----------------
दुनियां कहती है ज़िक्र मेरा आप करते रहे
राज़ मुहब्बत का आपसे भी छुपाया न गया
लाख चाहा तेरी यादों को भुला---------------
दर्द के मंज़र आते गए और जाते गए
दर्द-ए-दिल हमसे जाने क्यों न छुपाया गया
लाख चाहा तेरी यादों को भुला---------------
'दीपक कुल्लुवी' ने लिखे गीत कई तेरे लिए
आपसे एक भी मेरे लिए गाया न गया
लाख चाहा तेरी यादों को भुला---------------
आप भी तन्हा रहे बरसों हम भी तन्हा
तूने आवाज़ न दी हमसे बुलाया न गया
लाख चाहा तेरी यादों को भुला--------------
हमनें पायी है सज़ा दुनियां में वफ़ा की ए-दिल
बेवफाई का नगमा गुनगुनाया न गया
लाख चाहा तेरी यादों को भुला------------
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अतीत को भुलाना इतना आसन नहीं होता ,शायद कोई भूल सकता भी नहीं यह एक ऐसा नशा है जिसका अपना ही मज़ा है ,अपनी ही दुनियां है इसके बिना भी ज़िन्दगी अधूरी सी है ,साक़ी,शराब,शवाब ,शबनम,गम.तन्हाई और दर्द , ग़ज़ल और शेर-ओ- शायरी के गहनें हैं इनके बिना इश्क -ओ-मुहब्बत की बातें बेमानी हैं
दीपक "कुल्लुवी"
SHESH AGALE ANK 7 MEIN
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