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आखरी पन्ने -7 (दीपक शर्मा 'कुल्लुवी')

गतांक - 6 से आगे
आखरी पन्ने -7
(दीपक शर्मा 'कुल्लुवी')

तन्हा तन्हा पाया

न इसने साथ निभाया न उसने साथ निभाया
जब भी देखा दिल को अपनें तन्हा तन्हा पाया
कहनें को तो सब थे अपनें सब तो यही कहते थे
लेकिन जब भी मुड़कर देखा साथ किसी को न पाया
कद्र मेरे जज्वातों की वोह क्या खाक करेंगे
जिनको मुहब्बत नफरत में फर्क करना आया
कौन नहीं चाहता उनकी यादगारें न बनें
हमनें अपनीं यादों को सबसे दिल में बसाया
शुरू हो चुका ज़िन्दगी का शायद आखरी दौर
सोचेंगे कभी फुर्सत में क्या खोया क्या पाया
जलते रहे 'दीपक' की तरह तख्ख्लुस रखा 'कुल्लुवी'
मुआफ कर चले उन सबको जिस जिसने हमें जलाया

दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
09136211486
शेष अगले अंक-8 में

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