मान जाते तो
ऐन० डी० तिवारी जी की क्यों मति मारी
बुढ़ापे में इतनी मुसीबत ली भारी
कुकर्म किया था तो मान जाते पहले
डी० ऐन० ए० टैस्ट की न आती बारी
ऐश की जवानी में लूटे मज़े
अब बुढ़ापे में चेहरे के बारह बजे
अब कैसे दिखाएँगे अपनों को मुँह
कहाँ जाती बहार में मिलेगा सकूँ
इज्जत गई,शौहरत गई
अदालत के चक्कर लगाने पड़े
शान अपनी झूठी दिखाने को यारो
झूठे बहाने बनाने पड़े
कहता है रोहित नाज़ायज है बाप
जनता,अदालत है रोहित के साथ
जाता बुढ़ापा कई दर्द दे गया
भुगतेंगे सज़ा वह अब अपने आप
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
30 जुलाई 2012 .
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