ग़ज़ल -
तुम्हें ख़त लिख रहा हूँ |
लगी लत लिख रहा हूँ ||
लगी लत लिख रहा हूँ ||
दीवारें वालिदा
को
|
पिता छत लिख रहा हूँ ||
बड़ों से झुक के मिलना |
लियाकत लिख रहा हूँ ||
ये कत्लेआम दहशत |
कयामत लिख रहा हूँ ||
मुहब्बत से ही आदम |
सलामत लिख रहा हूँ ||
बढ़े जो दाम रोटी |
कसालत लिख रहा हूँ ||
बहस घर वापसी पर |
सियासत लिख रहा हूँ ||
पिता छत लिख रहा हूँ ||
बड़ों से झुक के मिलना |
लियाकत लिख रहा हूँ ||
ये कत्लेआम दहशत |
कयामत लिख रहा हूँ ||
मुहब्बत से ही आदम |
सलामत लिख रहा हूँ ||
बढ़े जो दाम रोटी |
कसालत लिख रहा हूँ ||
बहस घर वापसी पर |
सियासत लिख रहा हूँ ||
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कसालत = आलस्य
अनन्त आलोक
हिमाचल प्रदेश
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