कभी-कभी या यूँ कहिये हर पल ये लगता है कि हम- एक ऐसे देश में
रह रहे है जहा अपनत्व ख़तम हो गया है . हर आदमी अपने स्वार्थ के
लिए अपनों को और अपने लोगो को ही इस्तमाल करते हुए झिजक नहीं रहे है।
हे राम अपने इस मर्यादामय भारत को अपनी ही नजर से बचाव !!!
अमृत कुमार शर्मा
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