
प्रदेश में जल्द ही एशिया की पहली रोबाटिक एंड स्पेस साइंस यूनिवर्सिटी खुलेगी। इसके लिए बाकायदा सोलन में करीब 150 बीघा जमीन का भी चयन हो गया है। भारत के न्यूटन कहे जाने वाले और दसवें ग्रह झेना की खोज करने वाले अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. जेजे रावल ने यह खुलासा किया है। सोलन में एक विवाह समारोह में शामिल होने आए डॉ. रावल ने भास्कर से भविष्य की योजनाओं पर खुलकर बात की। उनका मानना है कि हिमाचल के लोगों में काफी पोटेंशियल है और यह मिनी स्विटजरलैंड जैसा दिखता है। यहां का शांत वातावरण अंतरिक्ष साइंस को समझने में बहुत उपयोग साबित होगा। डॉ. रावल ने कहा कि भविष्य में पूरी दुनिया रोबट पर निर्भर करेगी। रोबट न केवल आधुनिक मशीनों का संचालन करेंगे बल्कि युद्ध भूमि व अंतरिक्ष अभियानों में भी मददगार साबित होंगे। ऐसे में देश को एक ऐसे संस्थान की जरुरत है जहां पर रोबोटिक एंड स्पेस साइंस का अध्ययन कर सके। उन्होंने कहा कि सोलन में प्रस्तावित इंडियन इंटरनेशनल सेंटर फॉर रोबोटिक एंड स्पेस साइंस एशिया की पहली यूनिवर्सिटी होगी जहां पर रोबोटिक व स्पेस सांइस की स्नातक डिग्री दी जाएगी। यूनिवर्सिटी को नासा व एएमआईटी से मान्यता दिलाई जाएगी। वर्तमान में दुनिया भर में करीब ढाई लाख रोबिटिक सांइस इंजीनियर स्नातकों की जरुरत है जबकि अभी दुनिया में हर वर्ष 250 रोबोटिक एंड स्पेस सांइस इंजीनियर तैयार हो रहे हैं। ऐसे में देश के भावी वैज्ञानिकों के लिए यह यूनिवर्सिटी वरदान साबित होगी। यूनिवर्सिटी में 500 छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। जिसमें 350 विदेशी, 150 सीटे देश छात्रों के लिए आरक्षित होगी। इसमें भी 20 सीटे हिमाचल के छात्रों के लिए आरक्षित होगी। हिमाचल के कई स्कूलों में स्पेस रिसर्च लैब स्थापित कर चुके युवा अंतरिक्ष वैज्ञानिक अरुण कुमार के काम से डॉ. रावल काफी प्रभावित हैं। अरुण कुमार की पन्नी श्रुती ने ही सोलन में डॉ. रावल को यूनिवर्सिटी खोलने के लिए जमीन दी है। इससे प्रभावित होकर रावल ने सोलन में स्पेस सांइस पर अधारित यूनिवर्सिटी खोलने का फैसला किया है।
साभार: दैनिक भास्कर में मोहन चौहान की रिपोर्ट
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